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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=नीरज दइया |संग्रह=}}[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatKavita}}<poemPoem>दरद रै सागर मांय
म्हैं डूबूं-तिरूं
कोई नीं झालै-