भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया|संग्रह=}}[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatKavita‎}}<poemPoem>अरे घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो।
नान्हो सो अमर्यो चीख पड्यो राणा रो सोयो दुख जाग्यो।
हूं लड्यो घणो हूं सह्यो घणो
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,677
edits