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युद्ध -विराम के सैनिकबाद भीअब शांति के सजग प्रहरी हैंअविरामजो जहाँ आक्रमण कर रहा हैऔर साहस से वहाँ खड़े हैंपाकिस्तानतब तक न हटने के लिएमान कर भीजब तक आतंक पलायन न नहीं मान रहाराष्ट्र-संघ का आदेशअब भी कर जायरहा है वारऔर सुबह की धूपदुर्निवार,फिर न हँसने लग जायधुँआधारघायल दिनहत्या का प्रसारस्वस्थ और चंगा न हो जायअनवरत संहारभारतीय सीमा का अतिक्रमणकोअसंभव न हो जाय।कर रहा है पार।
कर सकता हैउस परपुनर्वार वह उस पर बज्र-प्रहारले सकता है बदला बल सेदे सकता है हारकिंतु उसे रोके हैं उसकेजीवन के संस्कारशांति शील के सत्य विचारजब आएगा समयऔर अवसर आएगाबिना किए आक्रमणन भारत बच पाएगातब वह युद्ध करेगाबल का बदला बल से लेगायुद्ध-विराम तोड़कर-आगे उमड़ पड़ेगाजहाँ धरेंगे चरणसमर-सैनिक-सेनानीझंडा वहाँ गड़ेगाहारेगा दल-बादल-पाकिस्तानीजय का वरण करेगा भारतज्ञानी '''रचनाकाल: २५२९-०९-२९६५१९६५'''
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