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दुख में सुमरिन दाँव पर सब करेकुछ लगा है, रुक नहीं सकते, सुख मे करे न कोय । <br>जो सुख मे सुमरिन करे, दुख काहे को होय ॥टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते|<br>
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कविता कोश में [[कबीरअटल बिहारी वाजपेयी]]
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