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दाँव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकते,<br>
टूट सकते हैं मगर, मगर हम झुक नहीं सकते।<br>
</b></font>
कविता कोश में [[अटल बिहारी वाजपेयी]]
</td></tr></table>