भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<font size=2><b>
दाँव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकते,<br>
टूट सकते हैं मगर, मगर हम झुक नहीं सकते।<br>
</b></font>
कविता कोश में [[अटल बिहारी वाजपेयी]]
</td></tr></table>