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नया पृष्ठ: KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मनोज भावुक }} [[Category:ग़ज़ल]] <poem> सबसे बड़का शाप गरीबी …
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{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
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सबसे बड़का शाप गरीबी
सबसे बड़का पाप गरीबी

डँसे उम्र भर, डेग-डेग पर
बन के करइत साँप गरीबी

हीत-मीत के दर्शन दुर्लभ
जब से लेलस छाप गरीबी

साधू के भी चोर बनावे
हरे पुन्य- प्रताप गरीबी

जन्म कर्ज में, मृत्यु कर्ज में
अइसन चँपलस चाँप गरीबी

सुन्दर, स्वस्थ,सपूत अमीरी
जर्जर बूढ़ा बाप गरीबी

जे अलाय बा ओकरा घर में
पहुँचे अपने आप गरीबी

सूप पटकला से ना भागी
रोग, दलिद्दर, पाप, गरीबी

ज्ञान भरल श्रम के लाठी से
भागी अपने आप गरीबी

<poem>