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{{KKRachna
|रचनाकार=मनोज भावुक
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>

जिन्दगी के ताल में सगरो फेंकाइल जाल बा
का करो मन के मछरिया हर कदम पर काल बा

छीन के भागत कटोरा भीख के बा आदमी
देख लीं सरकार रउरा राज के का हाल बा

तीन-चौथाई गुजारत रोड पर बा जिन्दगी
तब कही पगले नू कवनो देश ई खुशहाल बा

ना करे के से करावे काम एह संसार में
का कहीं 'भावुक' हो अइसन पेट ई चंडाल बा

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