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सागर के सीप (कविता) / भारत भूषण

No change in size, 04:36, 1 नवम्बर 2010
[[Category:गीत]]
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ये उर-सागर के सीप तुम्हें देता हॅूंहूँ ।ये उजले-उजले सीप तुम्हें देता हूॅंहूँ । है दर्द-कीट ने युग-युग इन्हें बनायाऑंसू आँसू के खारी पानी से नहलाया जब रह न सके ये मौन, स्वयं तिर आयेआएभव तट पर काल तरंगों ने बिखरायेबिखराए है ऑंख आँख किसी की खुली किसी की सोतीखोजो, पा ही जाओगे कोई मोती ये उर सागर की सीप तुम्हें देता हॅूंहूँये उजले-उजले सीप तुम्हें देता हूॅंहूँ
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