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ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफिला साथ और सफर सफ़र तन्हा
अपने साये से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस कदर क़दर तन्हा
रात भर बोलते हैं सन्नाटे