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Kavita Kosh से
रह-रह कर
लगातार प्रज्वलित प्रज्ज्वलित होती हुई
एक आग
अचानक
आ गई हो
मूर्ति से बाहर
जब शकीरा ने
वाका-वाका किवा किया
देखो