भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
उम्र गुज़रेगी इंतहान इम्तहान में क्या?
दाग ही देंगे मुझको दान में क्या?
मेरी हर बात बेअसर ही रही
मुझको तो कोई टोकता भी नहीं
यही होता है खानदान मे क्या?
अपनी महरूमिया छुपाते है
कोई रहता है आसमान में क्या?
है नसीम-ए-बहार गर्दालूद गर्दालूद
खाक उड़ती है उस मकान में क्या