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" रेत का समन्दर" (कविता संग्रह)

रेत के समन्दर सी है यह ज़िन्दगी,<br>
तूफ़ां अगर आ जाए बिखर जाए ज़िन्दगी।<br><br>

अश्रु के झरने ने समन्दर बना दिया,<br>
सागर किनारे प्यासी ही रह जाए ज़िन्दगी।<br><br>

जिन बेटियों को जन्म से पहले मिटा दिया<br>,
उन बेटियों को बार-बार लाए ज़िन्दगी।<br><br>

पैरों की धूल मानकर इनको न रौंदना,<br>
गिर जाए अगर आँख में रुलाए ज़िन्दगी।<br><br>

चाहे बना लो रेत के कितने घरौंदे तुम,<br>
वक़्त के उबाल में ढ़ह जाए ज़िन्दगी।<br><br>

जिनका वजूद रेत के तले दबा दिया,<br>
उनको ही चट्टान बनाए यह ज़िन्दगी।<br><br>
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