भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
31 bytes removed,
06:09, 12 नवम्बर 2010
{{KKRachna
|रचनाकार=फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
|संग्रह=
}}
[[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>कब तक दिल की ख़ैर मनायें, कब तक राह दिखाओगेकब तक चैन की मोहलत दोगे, कब तक याद न आओगे
कब तक दिल की ख़ैर मनायेंबीता दीद उम्मीद का मौसम, कब तक राह दिखाओगे<br>ख़ाक उड़ती है आँखों मेंकब तक चैन की मोहलत दोगेभेजोगे दर्द का बादल, कब तक याद न आओगे<br><br>बर्खा बरसाओगे
बीता दीद उम्मीद का मौसम, ख़ाक उड़ती अहद-ए-वफ़ा और तर्क-ए-मुहब्बत जो चाहो सो आप करोअपने बस की बात ही क्या है आँखों में<br>कब भेजोगे दर्द का बादल, कब बर्खा बरसाओगे<br><br>हमसे क्या मनवाओगे
अहद-ए-वफ़ा और तर्क-ए-मुहब्बत जो चाहो सो आप करो<br>अपने बस किसने वस्ल का सूरज देखा, किस पर हिज्र की बात ही रात ढलीग़ेसुओं वाले कौन थे, क्या हैथे, हमसे उन को क्या मनवाओगे<br><br>जतलाओगे
किसने वस्ल का सूरज देखा, किस पर हिज्र की रात ढली<br>ग़ेसुओं वाले कौन थे, क्या थे, उन को क्या जतलाओगे<br><br> 'फ़ैज़' दिलों के भाग में है घर बसना भी लुट जाना भी<br>तुम उस हुस्न के लुत्फ़-ओ-करम पर कितने दिन इतराओगे <br><br/poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader