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हिज्र /जावेद अख़्तर

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<poem>
कोई शेर कहूँ

या दुनिया के किसी मोजुं पर

में कोई नया मजमून पढूं

या कोई अनोखी बात सुनूँ

कोई बात

जो हंसानेवाली हो

कोई फिकरा

जो दिलचस्प लगे

या कोई ख्याल अछूता सा

या कहीं कोई मिले

कोई मंजर

जो हैरां कर दे

कोई लम्हा

जो दिल को छू जाये

मै अपने जहन के गोशों मै

इन सबको सँभाल के रखता हूँ

और सोचता हूँ

जब मिलोगे

तुमको सुनाउगां
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