भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=राम जी भला करें / अनिल जनविजय
}}
{{KKAnthologyLove}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कभी वह आती थी उदास, कँपकँपाती हुई
कभी घर-भर में या बाहर कभी लान में
चक्कर काटती रहती थी मौन