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{{KKRachna}}|रचनाकार=राम प्रकाश रामप्रकाश 'बेखुद'लखनवी |संग्रह=
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अपनी अपनी खूबिया खूबियाँ और खामिया ख़ामियाँ भी बाट ले बाँट लें शोहरते शोहरतें तो बात ली रुसवाइया रुसवाइयाँ भी बाट ले
कल अगर मिल बाट बाँट के खाए थे तर लुक्मे तो आजआओ हम अपनी ये सूखी रोटिया रोटियाँ भी बाट ले बाँट लें
अपने हिस्से की ज़मी ज़ंमी तो दे चुके हमसाए को अब बताओ क्या हम अपनी वादिया भी बाट लेबाँट लें
दर्द, आसूआँसू, बेकरारी इक तरफ़ ही क्यू क्यूँ रहेइश्क मे इश्क़ में हम अपनी अपनी पारिया पारियाँ भी बाट लेबाँट लें</poem>