भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<font size=2><b>
जब कभी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है<br>
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती <br>है</b></font>
<br>
कविता कोश में [[मुनव्वर राना]]