भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
कुछ खट्टा कुछ मीठा लेकर घर आया।
मैं अनुभव कैसा-कैसा जीवन का लेकर घर आया।
खेल-खिलौने भूल गया सब मेले में