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Kavita Kosh से
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सही इंसान बनने के इरादों पर अमल होगा
किसी के काम आयेंगे आएंगे तभी जीवन सफल होगा
ठिकाना है नही जब एक पल का,एक लम्हे का
बहुत मुश्किल है ये कहना कहाँ पर फिर कौन कल होगा
भटकता फिर रहा हूँ पर मुझे मालूम है ये यह भी वहीँ पर जायेगी जाएगी बेटी जहाँ जिस जगह का अन्न-जल होगा
मुकद्दर का लिखा कितना सही होगा खुदा जाने
मगर जो कर्म से लिख दोगे वो बिक्कुल बिलकुल अटल होगा
ज़माने के हर इक दुख-दर्द से जुड जायेंगे जब हम
कहीं भी देख कर आंसूं आँसू हमारा मन सजल होगा
जहाँ कोई न होगा और मुश्किल सामने होगी
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