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रचनाकार=ओमप्रकाश यती
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<poem>
 
मन में मेरे उत्सव जैसा हो जाता है
जब आते हैं घर में मेरे माँ-बाबूजी
मेरा मन फिर से इक बच्चा हो जाता है
 
 
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