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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मनीष मिश्र |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> बारिश हर पीढ़ी क…
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{{KKRachna
|रचनाकार= मनीष मिश्र
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
बारिश हर पीढ़ी का सबसे भीगा सच है
प्रेमियों का सबसे आर्द्र प्रणय निवेदन
छत पर खेलते बच्चों का उत्कट उन्माद
स्मृतिजीवी बुजुर्गों का अपनी सलोनी बारिश में लौटने का स्वह्रश्वन
लगभग हर गरीब झोपड़ी का सबसे आसन्न गीला दु:ख
प्राय: हर चमचमाते शहर का राहत दिवास्वह्रश्वन
स6भावनाओं का अन्तिम चमचमाता किन्तु द्रवित दस्तावेज।
बारिश से ही हमने जाना है कि-
भीगी देहों के बावजूद सूखे रह जाते हैं मन।
कि नहीं बदलती बूँदों की तरलता और मिजाज़
चाहे वे उष्ण कटिबंधीय वन प्रांतर में गिरे
या लालगढ़ की न1सली जमीन पर
चाहे वे निर्मल वर्मा की कहानियों की उदास आँच में गिरे
या अशोक बाजपेयी की कविताओं के रसलालित्य में।
बारिश से ही हमने सीखा है कि-
फेंक ही देता है जंगल
संजो कर रखे पत्तों और जड़ों का जखीरा
पाते ही बारिश का हल्का सा इशारा।
शायद इसीलिए इस खुरदुरी दुनिया का
सबसे मुलायम सच है बारिश।
</poem>
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|रचनाकार= मनीष मिश्र
|संग्रह=
}}
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बारिश हर पीढ़ी का सबसे भीगा सच है
प्रेमियों का सबसे आर्द्र प्रणय निवेदन
छत पर खेलते बच्चों का उत्कट उन्माद
स्मृतिजीवी बुजुर्गों का अपनी सलोनी बारिश में लौटने का स्वह्रश्वन
लगभग हर गरीब झोपड़ी का सबसे आसन्न गीला दु:ख
प्राय: हर चमचमाते शहर का राहत दिवास्वह्रश्वन
स6भावनाओं का अन्तिम चमचमाता किन्तु द्रवित दस्तावेज।
बारिश से ही हमने जाना है कि-
भीगी देहों के बावजूद सूखे रह जाते हैं मन।
कि नहीं बदलती बूँदों की तरलता और मिजाज़
चाहे वे उष्ण कटिबंधीय वन प्रांतर में गिरे
या लालगढ़ की न1सली जमीन पर
चाहे वे निर्मल वर्मा की कहानियों की उदास आँच में गिरे
या अशोक बाजपेयी की कविताओं के रसलालित्य में।
बारिश से ही हमने सीखा है कि-
फेंक ही देता है जंगल
संजो कर रखे पत्तों और जड़ों का जखीरा
पाते ही बारिश का हल्का सा इशारा।
शायद इसीलिए इस खुरदुरी दुनिया का
सबसे मुलायम सच है बारिश।
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