भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जुग जुग जियसु ललनवा

139 bytes added, 08:06, 5 दिसम्बर 2010
{{KKGlobal}}
{{KKLokRachna
|रचनाकार=अज्ञात
}}
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा=भोजपुरी
}}
<poem>
जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो
 
ललना लाल होइहे, कुलवा के दीपक मनवा में आस लागल हो॥
 
आज के दिनवा सुहावन, रतिया लुभावन हो,
ललना दिदिया के होरिला जनमले होरिलवा बडा सुन्दर हो॥
 
नकिया त हवे जैसे बाबुजी के,अंखिया ह माई के हो
 
ललन मुहवा ह चनवा सुरुजवा त सगरो अन्जोर भइले हो॥
 
सासु सुहागिन बड भागिन, अन धन लुटावेली हो
 
ललना दुअरा पे बाजेला बधइया, अन्गनवा उठे सोहर हो॥
 
नाची नाची गावेली बहिनिया, ललन के खेलावेली हो
 
ललना हंसी हंसी टिहुकी चलावेली, रस बरसावेली हो॥
 
जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो
 
ललना लाल होइहे, कुलवा के दीपक मनवा में आस लागल हो॥
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,466
edits