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आज जो आपको सुनानी है / कुमार अनिल
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12:20, 6 दिसम्बर 2010
हमने दुनिया की ख़ाक छानी है
घर के
बहार
बाहर
निकल के देखो तो
आज की रुत बहुत सुहानी है
मेरी ग़ज़लों में दर्दे मुफ़लिस है
कोई राजा
,
न कोई रानी है
फिर से महकेगा आज घर मेरा
आज फिर याद उनकी आनी है
</poem>
Kumar anil
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