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हमने दुनिया की ख़ाक छानी है
घर के बहार बाहर निकल के देखो तो
आज की रुत बहुत सुहानी है
मेरी ग़ज़लों में दर्दे मुफ़लिस है
कोई राजा , न कोई रानी है
फिर से महकेगा आज घर मेरा
आज फिर याद उनकी आनी है
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