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* [[बरसों के बाद देखा इक शख़्स दिलरुबा सा / फ़राज़]]
* [[बेनियाज़-ए-ग़म-ए-पैमान-ए-वफ़ा हो जाना / फ़राज़]]
* [[बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये / फ़राज़]]
* [[छेड़े मैनें कभी लब-ओ-रुख़सार के क़िस्से / फ़राज़]]
* [[दिल भी बुझा हो, शाम की परछाईयाँ भी हों / फ़राज़]]
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