भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विश्राम के लिए वहाँ निचले पर्वत पर / कालिदास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: कालिदास  » संग्रह: मेघदूत
»  विश्राम के लिए वहाँ निचले पर्वत पर

नीचैराख्‍यं गिरिमधिवसेस्‍तत्र विश्रामहेतो-
     स्‍त्‍वसंपर्कात्पिुलकितमिव प्रौढपुष्‍पै: कदम्‍बै:।
य: पण्‍यस्‍त्रीरतिपरिमलोद~गारिभिर्नागराणा-
     मुद्दामानि प्रथयति शिलावेश्‍मभिर्यौ वनानि।।

विश्राम के लिए वहाँ 'निचले' पर्वत पर
बसेरा करना जो तुम्‍हारा सम्‍पर्क पाकर खिले
फूलोंवाले कदम्‍बों से पुलकित-सा लगेगा।
उसकी पथरीली कन्‍दराओं से उठती हुई
गणिकाओं के भोग की रत-गन्‍ध पुरवासियों
के उत्‍कट यौवन की सूचना देती है।