भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

विश्वास / उमा अर्पिता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जिंदगी के चौराहे पर
हजारों व्यक्तित्व
शेषनाग से फन उठाए
डसने को
तैयार खड़े हैं
और उसी चौराहे पर, मैं
अपने जीवन का
मार्ग खोज रही हूँ...!
यह जानते हुए भी कि
इन फनों के
सर्पिल संवेदन से
बच नहीं पाऊँगी, फिर भी
एक विश्वास है जो संजीवनी-सा
अमरत्व का
वरदान दे जाता है...!