भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विश्वास / बिहारीलाल कल्लू
Kavita Kosh से
भगवान पै जो विश्वास करै, उसे कष्ट क्लेश रहे न रहे।
सुख में दुख वो मग्न रहे, कोई लाभ या हानि रहे न रहे।
सुख दुख से दुनिया का रिश्ता हरदम एक न रहता है।
हरदम बरसात न पड़ती है, हरदम न झूरा पड़ता है।
भूकम्प न हरदम रहता है, बगिया न सदा लहराती है।
घनघोर घटा आँधी-बिजली हरदम न जमीं पर छाती है।
भगवान तुम्हारा रक्षक है, उस पर यदि विश्वास रहे।
जीवन नैया वह पार करे, कोई नाविक पास रहे न रहे।
सत्संग, दान, पूजा-अर्चना, जप, यज्ञ, ध्यान कल्लू करे।
वेदों का अगर है ज्ञान तुझे, और का ज्ञान रहे न रहे।।