भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
विश्व-भाषा / पुष्पिता
Kavita Kosh से
चिड़िया
किसी देश की
भाषा नहीं बोलती है
नहीं बाँटना चाहती है
वह अपना आकाश
चिड़िया की आँखों में
आँसू नहीं होते हैं
क्योंकि
वह सदा होती है
अपनी जमात के साथ।
चिड़िया
कभी विकलांग नहीं होती है
क्योंकि
नहीं जीतना चाहती है
वह कोई युद्ध
चिड़िया
अपने बच्चों का
नाम नहीं रखती है
नहीं बाँटना चाहती है
वह उन्हें किसी धर्म में
चिड़िया
कुछ नहीं छीनती है
वह सिर्फ उड़ना चाहती है
उड़ती रहती है
धूप …बरसात … तूफान में
चिड़िया
कभी, कुछ
बटोर नहीं रखती है
न अपना दिन
न अपनी रात
न अपना घोंसला
न अपने शावक
उसकी कोई रसोई नहीं होती
न कोई भंडार-घर
पूरी पृथ्वी
उसका अपना अनाज-घर है
उड़ान भरती चिड़िया है
आकाशकुसुम
रंगीन और सुंदर नभ-पुष्प।