Last modified on 4 अक्टूबर 2009, at 12:51

विश्व को उपहार मेरा / हरिवंशराय बच्चन

विश्व को उपहार मेरा!

पा जिन्हें धनपति, अकिंचन,
खो जिन्हें सम्राट निर्धन,
भावनाओं से भरा है आज भी भंडार मेरा!
विश्व को उपहार मेरा!

थकित, आजा! व्यथित, आजा!
दलित, आजा! पतित, आजा!
स्थान किसको दे न सकता स्वप्न का संसार मेरा!
विश्व को उपहार मेरा!

ले तृषित जग होंठ तेरे
लोचनों का नीर मेरे!
मिल न पाया प्यार जिनको आज उनका प्यार मेरा!
विश्व को उपहार मेरा!