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विश्व मे आकर कन्हैया कष्ट पाया बार बार / रंजना वर्मा
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विश्व में आकर कन्हैया कष्ट पाया बार-बार ।
तू न आया पर तुझे हमने बुलाया बार-बार।।
दर्द पर विरही ह्रदय के जग नहीं करता यकीन
रोग बन इस ने सभी को है सताया बार बार।।
किस तरह कोई करे अब लक्ष्य को पाने की चाह
विघ्न-बाधाओं ने जब है पग डिगाया पग बार बार।।
हैं तड़पते जो रुदन करते रात भर आती न नींद
है लगी जब आँख तेरा ध्यान आया बार-बार।।
ढूंढ़ती फिरती है मन-गोपी तुझे हर एक ओर
पर निराशा ने हमेशा है गिराया बार-बार।।
जिंदगी दुश्मन बनी है मौत फिरती आस पास
मोह ने नित कामनाओं से मिलाया बार बार।।
इंद्रियों के अश्व उद्धत देह रथ जर्जर कबाड़
कामना का त्याग पर तूने सिखाया बार-बार।।