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विश्व हिंदी सम्मेलन / समझदार किसिम के लोग / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
हिंदी की सेवा करते
हिंदी विद्वान
कितनी करते हैं सेवा
या
स्वाह!
आप-हम बेहतर जानते हैं
फिर भी मुंह ताकते हैं
रस्मी हिंदी दिवस का
या
मंत्रालय की ओर
कि कब अपना नाम भी
विश्व हिंदी सम्मेलन में
नेतृत्व करते अभियान से
जुड़ सके!
और हम यह भूल जाते हैं
कि आज हिंदी
संपर्क भाषा के साथ
ऐसे लोगों से जुड़ चुकी है
जो हर सम्मेलन में
नजर आते हैं
जिनके पांव कब्र में है
लेकिन
मगर
किंतु
परंतु
उन्हें यकीनन भरोसा है
कि उनके सहारे ही
हिंदी का भला होगा
और वे चकाचक कपडे़
चमकाए
सिल्क आवरण पहने
मंद-मंद मुस्कुराते हुए
विश्व में हिंदी का
परचम
और कई पेग चढ़ाकर
स्वदेश लौट आते है।
अपने को एक नये अध्याय
से जोड़ने के लिये