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विषजीवी हो रहे हुकुम सब / हम खड़े एकांत में / कुमार रवींद्र
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आगे राजा का
रथ सोहे
पीछे परजा का जुलूस है
रामराज के महास्वाँग में
ठग-उत्पाती भी हैं शामिल
साधू का बाना है उनका
सिंहासन है उनकी मंजिल
चढ़ा पुजापा
पंतजनों को
संत कह रहे – नहीं घूस है
महादेश के महाहाट से
लाये महाजन नई जोत हैं
शांति-शांति का पाठ चल रहा
खड़े घाट पर युद्धपोत हैं
सुलग रही है
चिता हवा में
कहने को यह माह पूस है
विषजीवी हो रहे हुकुम सब
अमृतकलश पड़े हैं खाली
जलसमाधि ली रघुवंशी ने
रजधानी में है दीवाली
परसों
अमरीका से लौटा
राजकुँवर कल गया रूस है