मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
विषहरि सेबि मोरा किछु नहि भेल
बाँझिन पद मोरा रहिये गेल
केयो नीपय अगुआर, केयो पछुआर
हमहुँ अभागलि द्वार घेने ठाढ़ि
केओ लोढ़य बेली फूल, केओ अढूल
हमहुँ अभागल तिरिया खोदू नामी दूभि
केओ मांगय अन-धन, केओ पूत
हमहुँ अभागलि कर जोड़ि ठाढ़ि
भनहि विद्यापति विषहरि माय
सभ दिन सभ ठाम रहब सहाय