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विषहरी का रोदन / 1 / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा

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होरे रोदन पसारे हे देबी पांच तो बहिनी हे।
होरे किये में कहब गे नेतुला कहलो नहीं जायेगे॥
होरे कांदी-कांदी आवे देवी बोले तो लगली गे।

होरे चांदो ने जीतल गे नेतुला हमें जे हारली गे।
होरे छप्पन सौ नाग गे नेतुला हारी के बैठल गे॥
होरे नहीं नाग होतेगे नेतुला मिरतो भुवन गे।
होरे बोले तो लगलीगे नेतुला बिषहरी से जवाब गे॥
होरे ऐत बड़ भेल हे माता चांदो सौागर हे।
होरे चांदो हे छींक हे बिषहरी मानुष औतार हे॥
होरे तोहे लो बरुछिको हे माता लगत जगदम्बा हे।
होरे तोहि जतवे हे माता चांदवा हारते हे॥
होरे तोहे जायत हो आवेगे माता सत तो करायबे।
होरे सत तो कराय हे माता मांगी हे जे दान हे॥
होरे चारी तो नक्षत्र हे माता दान जे मांगावे हे।
होरे नींद केर पुरिया हे माता दान जे मांगवे हे॥
होरे मांगिहे से आवे हे माता दान मनियार हे।
होरे एहो तीनों चीज हे माता दान तोहे लेबे हे॥
होरे नेतुला बचन हे माता सर्वन सुनले हे।
होरे चली भेली आवे माता महादेव आवास हे॥