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विषाद - 1 / विजेंद्र एस विज
Kavita Kosh से
उसने निर्वासन झेला,
विस्थापन की पीड़ा थी
उसकी आँखों में...
उसने अपने शब्दों को
उस चित्र में तलाशने की
कोशिश की...
एक हल्की सी मुस्कराहट
उसके चहरे के
विस्तार को नाप गयी...
-अलीसिया पारटोनी की कविता पर पेंटिंग बनाने के बाद लिखी कविता