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विषाद - 4 / विजेंद्र एस विज

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वह कुत्ते की तरह ललचाता हुआ
मेरे नजदीक आता है..
चाटने लगता है मुझे...
हिम्मत करके मैं उसे डांटता हूँ..
वह एक पल के लिए भागता है..
फिर धीरे धीरे वापस लौटता है..
उस दिन भी आया
पर मैंने उस पर विजय पा ली...
शायद मुझे रुकना आ गया...