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विष असर कर रहा है किश्तों में / जहीर कुरैशी

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विष असर कर रहा है किश्तों में
आदमी मर रहा है किश्तों में

उसने इकमुश्त ले लिया था ऋण
व्याज को भर रहा है किश्तों में

एक अपना बड़ा निजी चेहरा
सबके भीतर रहा है किश्तों में

माँ ,पिता ,पुत्र,पुत्र की पत्नी
एक ही घर रहा है किश्तों में

एटमी अस्त्र हाथ में लेकर
आदमी डर रहा है किश्तों में