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विस्मृत मित्र के लिए कुछ पंक्तियाँ-3 / शुभा
Kavita Kosh से
आख़िर दो आदि मित्र कब तक
कर सकते हैं पराई भाषा में बात
ये आदेश देना और रियायतें करना छोड़ो
छोड़ो अपराध-बोध और उद्धार की तकनीकें
करुणा भी छोड़ो
इस समय की बेचैनियों में जो ये ख़ास बेचैनी है
जो किसी स्त्री को देखकर पैदा होती है
इसे पहचानो
लो मैं मित्रता का हाथ बढ़ाती हूँ।