विस्साव शिम्बोर्स्का / परिचय
विस्वावा शिम्बोर्स्का 2 जुलाई 1923 को पश्चिमी पोलैंड में पैदा हुई थीं. उन्होंने क्राकोव में ही साहित्य और समाजशास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की. एडम वोदेक से उनका विवाह हुआ और जल्द ही तलाक हो गया, लेकिन 1986 में अपनी मृत्यु तक वोदेक शिम्बोर्स्का के अच्छे मित्र बने रहे. उनके लेखक सहचर कोरनेल फ़िलिपोविच का भी 1990 में देहांत हो गया, उसके बाद से वे अकेली थीं. वे निजत्व में जीती थीं और उनकी कविताएं उनके निज की ही अभिव्यक्ति हैं. हालांकि 1952 में जब उनका पहला संग्रह ‘दैट्स व्हाट वी लिव फ़ॉर’ प्रकाशित हुआ, उन्हें स्तालिनवादी करार दिया जाने लगा और दो साल बाद ‘क्वेश्चंस पुट टू माइसेल्फ़’ शीर्षक से आये उनके दूसरे संग्रह ने तो प्रतिबद्ध कवि का ठप्पा ही उन पर लगा दिया.
लेकिन 1957 में उन्होंने कम्युनिज्म के साथ-साथ पहले की अपनी सभी कविताओं को नकार दिया. उन्होंने कहा था कि जब मैं बच्ची थी, मैं कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित थी. मैं कम्युनिज्म के जरिये दुनिया को बचाने का सपना देखती थी. लेकिन जल्द ही मेरी मान्यता बदल गयी कि इससे काम नहीं होने वाला.
मैं अपनी रचनात्मक जिंदगी की शुरुआत से ही मानवता को मानती रही हूं, मानव जाति के भले के लिए कुछ करना चाहती थी, लेकिन फ़िर मेरी समझ में आया कि मानवजाति को बचा पाना संभव नहीं है. बाद में वह पोलैंड के कम्युनिस्ट शासन के विरोध में सोलिडैरिटी मूवमेंट में सक्रिय रहीं.
1981 में मार्शल लॉ लगने पर उन्होंने दूसरे नाम से कविताएं लिखीं. वह हमेशा यह कहती रहीं कि उनकी कविता वैयक्तिक है, राजनीतिक नहीं, लेकिन यह एक सच्चाई है कि जिंदगी बार-बार राजनीति से गुजरती है. नोबल सम्मान लेने के बाद उन्होंने फ़िर कहा कि मेरी कविताएं लोगों और जिंदगी के बारे में हैं.
1945 में उन्होंने पहली कविता लिखी थी और 2008 में उनका आखिरी संग्रह आया. लेकिन इस दौरान कुल मिला कर 400 से भी कम कविताएं ही छपीं और इसमें से लगभग 200 ही पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं. लेकिन उनको कविता का मोजार्ट माना जाता है.
1996 की नोबल पुरस्कार विजेता कवियत्री विस्साव शिम्बोर्स्का का 1 फरवरी 2012 को निधन हो गया।