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वीर अभिमन्यु / लोकगीता / लक्ष्मण सिंह चौहान

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बड़ बली युधामन्यु बड़ बली नतमौजा।
सुभद्रा के लाल अभिमन्यु हो सांवलिया॥
अरजुन सन गुरु उगले किरनमा हो।
कोमल कटार छूरी धार हो सांवलिया॥
हाथ में कमान बान पीठ तरकसवा हो।
कान में कुण्डल उ-त-पिन्हेय हो सांवलिया॥
फुदकल चलैय जेना सेहला कि बधवा हो।
कन घनचकरा लखावैय हो सांवलिया
देहिय दिखाबैय कत तेजबल सानलो हो।
चांद सन चमकैय मुकुट हो सांवलिया
पीयर-झिंगुलिया में नाग सन फेंटवा हो।
चंदन लिलार कि अंगार हो सांवलिया
कालरूप ‘लछुमन’, ढ़ीठ ये हो लरिफा हो।
परलय तूफान में टंकार हो सांवलिया॥
द्रुपदी के पाँचो लाल सभे महारथी रामा।
खूब तेज घोड़वा दौड़ावैय हो सांवलिया॥