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वुसअते-बेकराँ में खो जायें / फ़िराक़ गोरखपुरी
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वुसअते-बेकराँ में खो जायें.
आसमानों के राज़ हो जायें.
क्या अजब तेरे चंद तर दामन.
सबके दागे-गुनाह धो जायें.
शादो-नाशाद हर तरह के हैं लोग.
किस पे हँस जायें,किस पे रो जायें.
यूँ ही रुसवाईयों का नाम उछले.
इश्क़ में आबरू डुबो जायें.
ज़िन्दगी क्या है आज इसे ऐ दोस्त!
सोच लें और उदास हो जायें.