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वृंदावनदास / परिचय
Kavita Kosh से
हित वृंदावनदास का जीवन वृत्तांत उपलब्ध नहीं है। अनुमान है कि ये पुष्कर के निवासी थे जो बाल्य-काल में ही विरक्त होकर वृंदावन जाकर रहने लगे थे। वल्लभ संप्रदाय के कवियों में इनका प्रमुख स्थान है। कहते हैं सूरदास की भांति इन्होंने भी सवा लाख पद रचे थे, जिनमें दोहा, चौपाई, छप्पय आदि कई प्रकार के छंदों का प्रणयन किया था। लोक जीवन से जुडे हुए संस्कारों, त्योहारों और रासलीला आदि पर भी इन्होंने गीत लिखे। 'लाड-सागर इनका प्रसिध्द ग्रंथ है। ब्रजभाषा को व्यापक बनाने में इनका योगदान आदरणीय है।