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वृन्दावन से चलिये गवन्त्री / हरियाणवी

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वृन्दावन से चलिये गवन्त्री, कजरी बन में आई, मेरे राम।
कजरी बन में सिंह धडू कै, गैया सिंह ने घेरी, मेरे राम।
सुन रे सिंहनी जाये, मुझे मत भछियो घर में बछडू रांभै, मेरे राम।
चांद सूरज मेरे साक्सी होइयो, बछडू चूंघातेई आऊं, मेरे राम।
गंगा जमुना मेरे साक्सी होइयो, बछडू चूंघातेई आंऊं, मेरे राम।
कजरी बन ते चली गवन्त्री, वृन्दावन में आई, मेरे राम।
ले रे बछडू दुधवा पी ले, बचनों की बांधी माय, मेरे राम।
बचनों का दूध अम्मा हरबी न पीऊं चलूंगा तुम्हारे साथ, मेरे राम।
आगे बछडू पीछे गवन्त्री, कजरी बन में आई, मेरे राम।
ले रे मामा मुझे भछण कर ले, पीछे गवन्त्री माय, मेरे राम।
काहे का मामा काहे का भानजा, काहे की गवन्त्री भैन, मेरे राम।
सत का माता, धरम का भानजा, नेम की गवन्त्री भैन, मेरे राम।
अपने भानजे को मैं लाख टके दूंगा, अतलस मसरू भैन, मेरे राम।
लेई लाय कै चली गवन्त्री, वृन्दाबन में आई, मेरे राम।
किसने रे बेटा सिख बुध दीनी, किने पड्ढाये चटसाल, मेरे राम।
सोने से भरे बेटा! खुद मुढ़वा दूं, रूपे से दोनों सींग, मेरे राम।
अपने बेटा पे मैं सब कुछ वारूं, ऐसा मीठा बोल, मेरे राम।