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वेदना का प्रेम / ज्योती लांजेवार

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मेरे असीम प्रेम का परिचय देने वाला
यह निर्बन्ध नटखट पवन
मुझसे कुछ कहे बगैर
यदि तुम्हारी खिड़की तक आया
उसे भेज देना सीधे
उफ़नते सागर की ओर
मुझे पता है यह पवन
हर फूल से चुगली करने वाला
सुखलोलुप सिरफिरा और भ्रमित है

मगर यहीं कहीं
मेरी वेदना की गंध लिए
अगर आती है कोई व्यथित दृष्टि
तुम्हारी ओर
तो उसे मत भेज देना
केतकी के सुगन्धित वन में

भीतर बसा लेना उसे
एक क्षण के लिए ही सही
उसे ज़रूरत होगी
तुम्हारे समूचे अस्तित्व के स्नेहिल स्पर्श की ।