वेदना की वर्तिका बनकर जली है,
ज़िन्दगी यूँ चन्द ग़ज़लों में ढली है।
देह में उसकी अजन्ता की कला तो,
दृष्टि में उसकी बसी कवितावली है।
बढ़ गई है धड़कनें दिल की अचानक,
ये गली ही, हो न हो उसकी गली है।
हाथ पे मेरे हथेली है किसी की,
हाथ पे मेरे रखी गंगाजली है।