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वेदों के मंत्र हैं / विष्णु विराट
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हम न मौसमी बादल
हम न घटा बरसाती
पानी की हम नहीं लकीर,
वेदों के मंत्र हैं, ऋचाएँ हैं।
हवा हैं गगन हैं हम,
क्षिति हैं, जल,
अग्नि हैं दिशाओं में,
हम तो बस हम ही हैं,
हमको मत ढूँढ़ो उपमाओं में,
शिलालेख लिखते हम,
हम नहीं लकीर के फकीर
जीवन के भाष्य हैं, कथाएँ हैं।
वाणी के वरद-पुत्र,
वागर्थी अभियोजक हैं अनन्य,
प्रस्थापित प्रांजल प्रतिमाएँ हैं,
शिव हैं कल्याणमयी,
विधि के वरदान घन्य,
विष्णु की विराट भंगिमाएँ हैं,
खुशियों के मेले हम
यायावर घूमते फकीर
आदमक़द विश्व की व्यथाएँ हैं।