भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वेद छाड़ा फकिरे एइ धारा बाउल) / बांग्ला

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

माने ना केताब-कोरान नबीर तरीक छाड़ा।
    मसरेक तरीक धरे ,चन्द्र-सूर्य पूजा करे,
पंचरस साधन करे , चन्द्र भेदी यारा।।
सरल चन्द्र, गरल चन्द्र, रोहिणी चन्द्र धारा
   रस-बीज मिल करे पार करछे तारा।।
सब चूल माथाय जटा, काय सिद्दि भाँग घोंटा,
कथा कय एलो मेलो, बुझा याय ना सेटा ।।
तादेर भंगी देखे लोक तुले याय गानेर बड़ घटा।
ए दीन रसिक बले बेतरीक से आउल-बाउल नेड़ा।