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वेन इदो की 'लाल बत्ती' पढ़ते हुए / गून ल्यू
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लौटकर अब दसियों साल बाद
फिर से
बात कर रहा है तू मुझसे
ओ कवि!
पढ़ रहा हूँ तेरी 'लाल बत्ती'
बहा रहा हूँ आँसू मैं उसी तरह
पढ़ रहा हूँ
और गुन रहा हूँ
बात तेरी मैं सुन रहा हूँ
क्यों हमारा देश फिर बूढ़ा हुआ
सवेरे से हुई उस मुलाकात के बाद
क्यों हमारा देश फिर कूड़ा हुआ?
अन्धेरा का हुआ है क्यों साथ?
क्यों?
क्या सचमुच फिर से इस वक़्त
चीन माँ को चाहिए बेटों का रक्त?
देश के संग कर रहे ठिठोली
खेल रहे हैं ख़ून की वे होली
नहीं कवि!
अब ज़रूरी नहीं है रक्त
बदलना है देश को इस वक़्त।
(रचनाकाल : 1981)
रूसी भाषा से रूपांतरण : जनविजय