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वेश-वयस / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

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कुमारि - कुल पर्वत गृह वत्सला निर्झर नेह क बिन्दु
गंगा विमल कुमारिके अन्त मिलित वर सिन्धु।।41।।

नव-विवाहिता - उत्सुक मन, सहमलि कने जने अपरिचित आन
काम कामना क्रमहि गमि अवोढाक मन मान।।42।।

सधवा - बिन्दी-टिकुली कर बलय मान-मनाउनि राग
मन रति पति क सिनेह गुन धनि धनि जुड़ओ सोहाग।।43।।

विधवा - मधु माधव क वसन्त वन तरु-लतिका सह - वास
दुर्दिन अन्हड़ हत छनहि मुरुछलि लता हतास।।44।।