भावें जाण ना जाण वे, वेहड़े आ वड़ मेरे।
मैं तेरे कुरबान वे, वेहड़े आ वड़ मेरे।
तेरे जिहा मैनूँ होर ना कोई,
ढूँढ़ा जंगल बेले रोही।
ढूँढ़ा ताँ सारा जहान वे, वेहड़े आ वड़ मेरे।
लोकाँ दे भाणें चाक मही दा,
राँझा ताँ लोकाँ विच्च कहींदा।
साडा ताँ दीन ईमान वे, वेहड़े आ वड़ मेरे।
मापे छोड़ लगी लड़ तेरे,
शाह इनायत साईं मेरे।
लाईआँ दी लज्ज<ref>शर्म</ref> पाल वे, वेहड़े आ वड़ मेरे।
शब्दार्थ
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